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ज़िन्दगी गुलज़ार है

२८ फ़रवरी ज़ारून

कल एक अजीब बात हुई. वो कशफ़ मुर्तज़ा मेरे पास बैठी थी. मुझे काफ़ी दिनों से सर अबरार पर बहुत गुस्सा आ राह था, क्योंकि उनका रवैया कशफ़ के साथ ज़रूरत से ज्यादा अच्छा था. उसे हर किस्म की रियायत देते रहते हैं. कल वो क्लास में लेट आई थी और सर अबरार ने ना सिर्फ़ इसे कुछ नहीं बल्कि क्लास में आने की इज़ाज़त भी दे दी और अगर कभी मैं या कोई और क्लास में लेट आये, तो वो क़यामत उठा देते हैं. लेकिन मेरा सारा गुस्सा उस वक़्त ख़त्म हो गया, जब उन्होंने उसे मेरे बराबर वाली चेयर पर बैठने के लिए कहा.

वो चेयर मैंने ओसामा के लिए रखी थी, क्योंकि वो इंग्लिश डिपार्टमेंट किसी से मिलने गया था. लेकिन, उसके वापस आने से पहले ही सर अबरार आ गए थे. फिर वो नहीं आया, क्योंकि लेट आने पर सर अबरार से इन्सल्ट करवाने से बेहतर है कि बंदा क्लास में आये ही नहीं. सर अबरार के कहने पर भी वो मेरे पास आकर नहीं बैठी. फ्री जब सर अबरार ने मुझसे कहा “ज़ारून बहन को जगह दो” वो मेरे साथ वो भी मुस्कुराई थी. मैंने ओसामा की चेयर से किताबें हटा ली और वो वहाँ आकर बैठ गई.

हैरान करने वाली बात ये है कि मेरे इस कदर करीब बैठने पर भी वो नर्वस नहीं थी, वरना अक्सर लड़कियाँ मेरे क़रीब बैठने पर नर्वस हो जाती हैं. और अगर कुछ नहीं, तो लेक्चर नोट करते हुए उनके हाथ कांपते रहते हैं और मैं हमेशा उनकी घबराहट को एन्जॉय करता हूँ. लेकिन, उसके हाथों में लरज़िश नहीं थी. बहुत सधे हाथ थे उसके.

किसी किस्म के अराइश (रुकावट) के बगैर लेक्चर नोट करते हुए उसका बॉल पॉइंट पेन रुकने लगा था. मैं चूंकि उसकी तरफ़ मोतवज्जा था, इसलिए ये बात मेरी नज़र में आ गई. मैंने अपनी पेन निकालकर उसे दे दिया, जिसे लेक्चर ख़त्म होने के बाद उसने शुक्रिया के साथ वापस कर दिया, बगैर मुझे देखे या मुस्कुराये. मैंने उस वक़्त का मुन्तज़िर हूँ, जब कशफ़ मुर्तज़ा मुझे अब की तरह नज़रअंदाज़ नहीं कर पायेगी. वो मेरे हवाले से ख्वाब देखेगी और मेरे बगैर अपने वजूद को अधूरा महसूस करेगी और वो वक़्त बहुत ज्यादा दूर नहीं है.

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2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:33 PM

Nice

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Alka jain

09-Mar-2023 04:18 PM

बेहतरीन

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